जानना क्यों नहीं चाहते
वह सुनसान रास्ता, रात का समय झिंगुर की आती आवाज़ मन में थोड़ा डर, समय था आधी रात का जहां नज़रों को आगे दौडाने पर भी कोई नहीं दिखता, दिखते तो सिर्फ गली में दो-चार श्वान, जिनका भयावह आवाज सिर्फ कानो में आते एक के भौंकने के बाद कुद्द दूर-दूसरे कुत्ते की आहट मानो ऐसा लगता कि ये कुत्ते रात में संत्री हो, जो एक दूसरेे को आगाह कर रहे हो। अभी रात काटने में 4 घंटे बचे थे, इन्तजार था तो सिर्फ सुबह का इस रात को काटते समय हम चार दोस्त बैठे थे, एक अनजान गांव मंे जहां हम गये थे अपने पढ़ाई के विषय मंे शोध करने शोध हमारे विषय की विशेषता थी क्योंकि हम मीडिया के स्टुडेंट थे। वैसे यह किसी शोध के विषय के बारे मे मैं लेख नही लिख रहा हूं लेख बस उस गांव के ऊपर है जहां हम गये हुए थेे। रात का पल तो हमने आपस में बात कर के काट ली सभी अपने जीवन में अभी तक घटे घटनाओं के बारे मे बात कर रहे थे कई ने मजाक किया किसी के बातों के लेकर एक-दूसरे को खुब चिढ़ाया, धीरे-धीरे रात गुज़र गई हमें उस रात नींद भी नही आ रही थी वैसे विधाता का शुक्रिया की उस रात नींद नही आई अन्यथा उस पल को मैं कैसे याद रख पाता। सवेरा हुआ आंख-मुंह धोए