जीवन एक अनमोल तोहफा

जीवन जो एक अनमोल तोहफा है मनुष्य के लिए जो न जाने कितने तप करके एक मानव को प्राप्त होता है यह जीवन उस विधाता के द्वारा दिया हुआ उपहार है, हमारे लिए । इसे कैसे जिया जाये यह निर्भर करता है हमारे उपर । सृष्टि जो जीवन रूपि नईया पर सवार है । यह नईया जो इस जीवन को आर पार लगाती है। यह नईया सागर जैसी गहरी सोंच व संघर्ष के ऊपर तैर कर उस पार जाने का रास्ता तय करती है इस सागर को पार करते समय जीवन में कितनी तुफान बाढ़ का सामना करना पडता है और यदि मनुष्य इस जीवन को संघर्ष के साथ अगर पूरा कर लेता है तो वह जीवन जीने की जो कला होती है उसे सीख लेता है और इन संघर्ष रूपी जीवन एक खुशनुमा शाम में तब्दील हो जाता है। वह शाम जो एक थके हुए आदमी को सुकुन देता है। यह वही शाम है जो इस जहां को शायद शीतलता प्रदान करती रहती है। दिन भर की धूप, धूल-धक्कड़, चिंता-परेशानी को ऐसा धूमिल कर देता है, जिसके आगे सोचने के लिए कुछ नहीं होता। जिस प्रकार एक सुनहरे सुबह का अनमोल तोहफा इस संसार को हर रोज प्राप्त होता है, वह तोहफा है लाली किरणों के साथ पहाड़ों की ओट से निकलता सूरज। यह कुदरत का करिश्मा ही तो है जो हर रोज सुबह की नई आगाज करती है और अपना तेवर बदलते-बदलते यही लाली किरणें तेज होकर एक मनुष्य जीवन को चिढ़ाती है।


वह बताती है कि मैं जैसा हूं तुम भी वैसा बनो। समय के साथ अपने आप में बदलाव लाव। दिन खत्म तो हो गई अब बारी है सूर्य ढलने की। यह परिवर्तन ऐसा है जिसमें वहीं सूर्य अपना रूप परिवर्तित कर कहीं लालिमा के साथ छूप जाता है। आज हर एक मनुष्य के अपने जीवन में ऐसा ही पड़ाव लाना होगा, जो समय के रहते परिवर्तित हो और परिवर्तन कुछ उद्देश्य को लेकर किया जाये। यह दुनिया इतनी प्रगति कर रही है, किसी को यह पता नहीं कि मैं कौन हूं ? क्या मैं जो कर रहा हूं, वह अपनी मर्जी से कर रहा हूं, मेरी मजबूरी क्या है ? यह मजबूरी लोग जानना नहीं चाहते, क्योंकि मजबूरी हर एक की है। वक्त के हाथों सभी मजबूर हैं, जो दिल में है अपनी मन की इच्छाओं में है, उसे सभी दबा दिए हैं। आखिर यह मजबूरी कैसी। शायद यह मैं खुद भी न समझ पाऊं।


आज किसी के पास इतना वक्त नहीं कि वह अपने आप को समझ पाये। आखिर क्यों ? क्यों कोई अपनी इच्छाओं को खुल कर किसी के सामने नहीं रख पाता। शायद इस सोच की डर से कि कहीं ऐसी बातें सुन कर लोग हंस न दे। अपने आप को मजाक का पात्र नहीं बनना देना चाहते। इसी लिए वह इस रंगीन दुनिया के हां में हां मिलाता चला जाता है। इस रंगीन दुनिया में एक सफेद राज भी छूपा हुआ है, जिसके कारण आज में अपनी इच्छाओं को इस कलम के माध्यम से सफेद कागज पर उतार पा रहा हूं। यह दुनिया कैसी है ? यह सभी जानते है। शहर की चकाचौंध को सभी देखते है। प्रकृति की अनमोल उपहार जो रात का दृश्य है, उसे अपनी सोच से जगमगा देना चाहते है, लेकिन यह जगमगाहट न तो मन को सुकुन और न ही दिल को राहत प्रदान करती है। यदि विधाता की इस रूप को हम गांव की अंधेरी रात में झिंगुर की आवाज, चांदनी रातों में चांद की शीतलता व जुगनू की चमक को देखें तो सोच कर ही मन आंनद विभोर हो जाता है।


गांव की कच्ची गली, खेत की वह मेड़ जिस पर बैठ कर यदि मैं कुछ विचार करूं कि कैसे जीवन जीना चाहिए तो हमें इसका सच्चा उदाहरण उसी मेड़ से प्राप्त होता है। जो अलग-अलग खेतों के बीच बंटा हुआ है। एक खेत से दूसरे खेत को मिलाने का उद्देश्य होता है और वह उद्देश्य तब पूरा होता है, जब खेत पर चारों तरफ फसल उग कर बड़े हो जाते है और देखने पर सभी खेत एक लगते हैं। जीवन भी वैसी स्थिति से होकर गुजरती है, जब जीवन में कुछ बदलाव आता है तब अंतरमन सोचने पर मजबूर हो जाता है और जीवन की लकीर समान हो जाती है। सभी के लिए जीवन में वे सभी गुण आ जाते हैं दूसरों को देने के लिए और वह गुण उसी फसल के अनाज की तरह फैलते रहते हैं, जिसके घटने का कोई गंुजाईश ही नहीं होती।

Comments

  1. Bahut badhiya khayalat hain aapke!

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  2. बहुत सुंदर रचना।

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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